माँ
माँ की आँखों का क्या है..
वो तो यूँ ही नम हो जाती है !
जब आँचल में पहली बार.
जीवन की नयी किरण मुस्काई थी ..
तब भी तो माँ की आँखे ,
ऐसे ही भर आई थी..
वो पहला तुतलाया शब्द,
पहला डगमग कदम ..
वो गिर कर, जब जब तूने ..
चोट कोई भी खायी थी.
तब भी तो माँ की ऑंखें ऐसे ही भर आई थी!
बचपन में जब तुझको तेरा
मनचाहा न दे पाती थी.
या अब किस्मत और मेह्नत से तुमको
मनचाहा न मिल पता है..
तब तुम को समझाती थी…
अब खुद को समझाती है….
माँ की आँखों का क्या है,
ये तो यूँ ही भर आती है!
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