फ़ितरत
दिलों के दरवाजों पे बंद ताले हैं,
चेहरे सब के यहाँ भोले भाले हैं!
फितरत पहचानें किसी की कैसे यहाँ,
भेडिये पहने हुए भेड़ों की खालें हैं!
सफ़ेद टोपी और कुरते वालों के.
कारनामे बहुत ही काले हैं!
इंसानियत शर्मसार है इन पर की
इन्होनें मुर्दों के कफ़न भी बेच डाले हैं!
हमें न रास आएगी ये सियासत की दुनिया,
बड़े संगदिल इन गलियों के रहने वाले हैं!
इन परवानों से ख़बरदार ‘शमा’,
ये रौशनी का क़त्ल करने वाले है!
दिलों के दरवाजों पे बंद ताले है,
चेहरे सब के यहाँ भोले भाले हैं!
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बहुत अच्छा लिखा है आपने. आगे भी इसे प्रकार से लिखते रहिये!
excellent .